"करम तेरे अच्छे हैं तो किस्मत तेरी दासी है नियत तेरी अच्छी है तो घर में मथुरा काशी है"
"सप्ताह में सात वार होते हैं और आठवां वार है आपका परिवार। जबतक आठवां वार ठीक नहीं होगा आपके सातों वार बेकार हैं।।"
"अगर उपवास से भगवान खुश होते तो कई दिनों से भूखा वो भिखारी सबसे खुशनसीब इंसान होता"
"इंसान अपनी खुद की नज़रों में सही होना चाहिये दुनिया की छोड़िये दुनिया तो भगवान् से भी दुःखी है"
"उपवास अन्न का नहीं बुरे विचारों का करें"
"जीवन में कुछ पाना है तो झुकना सीखिए कुएं में उतरने वाली बाल्टी झुकती है तब ही पानी लेकर आती है"
"दूसरों का भला कीजिये लाभ होगा क्यूंकि भला का उल्टा लाभ होता है दूसरों पर दया करोगे तो सदा याद किये जाओगे क्यूंकि दया का उल्टा याद होता है"
"दुनिया आपको तब तक नहीं हरा सकती जब तक आप खुद से ना हार जाओ"
"किसी ने पूछा कि अच्छी किताबें पढ़ते हैं तो नींद आने लगती है लेकिन सिनेमा में फिल्म देखते हैं तो नींद नहीं आती एक सन्यासी ने सुन्दर जवाब दिया कि – “नींद हमेशा फूलों की सेज पर ही आती है काँटों के बिस्तर पर नहीं” l"
"इंसान बुरा उस वक्त बनता है जब वो खुद को दूसरों से अच्छा मानने लगता है"
"परिवार व्यक्ति का वह सुरक्षा कवच है जिसमें रहकर व्यक्ति सुख शांति का अनुभव करता है"
"सेठ को हे सेठ संवारो निर्धन को हे दातार पलभर में झोली भर दे यो लखदातार"
"तू वही करता है जो तू चाहता है लेकिन होता वही है जो मैं चाहता हूँ इसलिए तू वो कर जो मैं चाहता हूँ फिर वही होगा जो तू चाहता है"
"फल लगने पर वृक्ष नीचे की ओर झुक जाते हैं वैसे ही सज्जन पुरुष धन और ज्ञान आते ही और विनम्र हो जाते हैं"
"उपदेश वाणी से नहीं आचरण से प्रस्तुत किया जाता है"
"जब कल का दिन देखा ही नहीं तो आज का दिन क्यों खोयें जिस घड़ी में हंस सकते हैं उस घड़ी में कल के लिए क्यों रोयें"
"सोचने से कहां मिलते हैं तमन्नाओं के शहर चलना भी जरूरी है मंजिल पाने के लिए"
"अभी तो असली मंजिल पाना बाकी है अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकी है अभी तो तोली है मुट्ठी भर जमीन अभी तोलना आसमान बाकी है"
"आज बादलों ने फिर साजिश की जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की अगर फलक को जिद है बिजलियाँ गिराने की तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियाँ बसाने की"
"शब्द मुफ्त में मिलते हैं आप जैसा उपयोग करेंगे वैसी कीमत चुकानी पड़ेगी"
ना पूछो कि मेरी मंजिल कहाँ है अभी तो सफर का इरादा किया है ना हारूंगा हौंसला उम्र भर ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है
अगर सीखना है दिए से तो जलना नहीं, मुस्कुराना सीखो अगर सीखना है सूर्य से तो डूबना नहीं उठना सीखो अगर पहुंचना हो शिखर पर तो राह पर चलना नहीं राह का निर्माण सीखो
निगाहों में मंजिल थी गिरे और गिरकर संभलते रहे हवाओं ने बहुत कोशिश की मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे
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कोशिश के बावजूद हो जाती है कभी हार
होके निराश मत बैठना ऐ यार
बढ़ते रहना आगे हो जैसा भी मौसम
पा लेती मंजिल चींटी भी… गिर गिर कर कई बार
परिंदों को मंजिल मिलेगी यकीनन
ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं
अक्सर वो लोग खामोश रहते हैं
ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं
सामने हो मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना
जो भी मन में हो वो सपना मत तोड़ना
कदम कदम पर मिलेगी मुश्किल आपको
बस सितारे छूने के लिए जमीन मत छोड़ना