“पैसा चला जाय मुझे कोई डर नहीं है, मेरे मे टैलेंट है दोबारा खड़ी हो जाऊँगी l घर चला जाय मैं दोबारा बना लूँगी l माँ नहीं जानी चाहिए कभी, माँ को दोबारा नहीं बना पाओगे l"
Vishvajeet Chauhan

“सच तो ये है जो लोग सच्चे होते हैं न, वहीं लोग पहले sorry बोलते हैं l बस अपना दिल साफ रखो, क्युकी हिसाब कमाई का नहीं, कर्मों का होगा l l गलतियों पर साथ छोड़ना हर कोई जानता है पर साथ देकर गलतियों को छुड़ाना कोई अपना खास ही कर सकता है lll मोहब्बत वो एहसास है जो दिल में घर कर जाए तो बेज़ान को जिंदा कर दे और कोई जीते जी मर जाय llll"
Vishvajeet Chauhan

“जिस्म से होने वाली मोहब्बत का इजहार आसान होता है और रूह से हुई मोहब्बत को समझने मे जिंदगी गुजर जाती है l एक चेहरा मेरी आखों मे आबाद हो गया उसे इतना पढा की वो मुझे याद रह गया ll"
Vishvajeet Chauhan

“नदी ने अकडते हुए कुँए से पूछा - तुम्हारी औकात क्या है तुझे पता है ? कहा मैं नदी और कहां तू बेचारा छोटा-सा कुँआ l कुँआ हाथ जोड़कर कहता है बहन जी ठीक ही कहती हैं भटकाव और ठहराव मे कुछ तो फर्क़ होता ही है l तुम प्यासे के पास जाती हो और प्यासा मेरे पास आता है तुम ऊपर से नीचे की तरफ जाती हो इसीलिए खारी हो जाती हो और मैं नीचे से ऊपर की ओर आता हूँ इसीलिए मीठा हो जाता हूँ l"
Vishvajeet Chauhan

“शहर में एक ठिकाना ढूंढता है, वो जीने का बहाना ढूंढता है l तुम जिसको फेंक आते हो सड़क पर, कोई उसमे ख़ज़ाना ढूंढता है l मैं तुमको ढूंढने में खो गया हूँ, और अब मुझको जमाना ढूंढता है ll"
Vishvajeet Chauhan

“आपकी महंगी गाड़ी चलाने वाला अक्सर पैदल घर जाता है.., करोड़ों की रखवाली करने वाला व्यक्ती कभीं एक वक़्त भूखा रहता है जो आधे घंटे मे आपको पिज्जा पहुँचाता है और बारिश में छत टपकती है उसके घर की, जो आपके लिए बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनाता हैl"
Vishvajeet Chauhan

स्वदेशी और आत्म सम्मान

यह उन दिनों की बात है , जब पूरे भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन चलाया जा रहा था। महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन में साथ देने के लिए जब भारतीय जनता को आवाज दी , सभी भारतीय एकमत से महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़ाई लड़ने को तैयार हो गए। सभी भारतीय अपने – अपने अनुसार अंग्रेजों का बहिष्कार कर रहे थे , अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे थे। उनके द्वारा प्रायोजित हर उस चीज का बहिष्कार कर रहे थे जिससे अपनापन का आभास ना हो।
लोग जमी – जमाई सरकारी नौकरी भी छोड़ कर महात्मा गांधी के साथ खड़े थे।

उनमें से एक नाम मुंशी प्रेमचंद का भी है-

मुंशी प्रेमचंद , महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के एक आह्वान से अपनी सरकारी नौकरी त्याग कर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने अपने स्तर पर जितना हो भी हो कर सके अग्रणी भूमिका निभाई , जगह – जगह आंदोलन किया , विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और घूम – घूम कर लोगों को प्रेरित किया।

Premchand hindi motivational story
प्रेमचंद के इस समर्पण भाव को देखकर लोग प्रभावित हो रहे थे। स्त्री – पुरुष सभी उनके प्रभाव में असहयोग आंदोलन में शामिल हो रहे थे और महात्मा गांधी के सपने को साकार कर रहे थे। तभी महिलाओं को भी इस आंदोलन में अधिक संख्या में शामिल करने के लिए विचार किया गया। सभी ने सुझाव दिया प्रेमचंद की पत्नी इस संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाएं सभी महिलाएं उनके नेतृत्व में अपना समर्थन देंगी।

काफी सोच विचार के बाद प्रेमचंद की पत्नी ने असहयोग आंदोलन में गृहणी होते हुए भी अग्रणी भूमिका निभाई और अपने नेतृत्व में महिला मंडली का एक बड़ा दल खड़ा किया। आरम्भ में कुछ संकोच हुआ किंतु स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर लोगों में आत्मसम्मान की अनुभूति होने लगी। इसमें महिला मंडली का विशेष योगदान रहा , जिसने ना सिर्फ अपने घर परिवार के लोगों को प्रेरित किया बल्कि उनसे प्रेरित होकर पूरा भारत अंग्रेजों के विरुद्ध खड़ा हो गया , जिसने अंग्रेजों की नींव हिलाने का कार्य किया।

Moral of this story

  • Self-respect is one of the important aspects of human life.
  • You should not let any other person or company rule you.

  • Vishvajeet chauhan

    भूत का भय गांव में – साहस की कहानी

    अरावली के पहाड़ों के बीच एक सुंदर गांव बसा हुआ है , वहां लोग अपने मेहनत के द्वारा ही अन्न की उपज करके अपना जीवन निर्वाह करते हैं। पशु-पालन और कृषि उनके जीवन का अभिन्न अंग है। वह मनोरंजन के लिए ताश खेलते हैं , मुर्गियों का युद्ध कराते हैं , और महिलाएं टोकरी बनाना , जुड़ा बनाना , आदि छोटे – मोटे लघु उद्योग का कार्य करती है। गांव के बाहर एक कच्चा कुआं है , रात के अंधेरे में वहां कोई भी नहीं जाता क्योंकि उस कुएं के बारे में कई सारी कहानियां लोगों ने सुन चुकी थी।

    कुछ लोग कहते हैं उस गांव के कुएं के पास बहुत सारे भूत रात को पानी पीने आते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि एक दिन राहगीर उस कुएं में गिरकर मर गया था और उसकी आत्मा अब वही भटकती रहती है , और कोई जाता है तो उसे मार डालती है। न जाने कितनी ही कथाएं उस कुएं को लेकर बनाई गई थी। किंतु कोई भी व्यक्ति शाम के बाद उस रास्ते नहीं जाता , और ना ही उस कुएं के पास।
    एक दिन की बात है- गांव में लोग आपस में उस कुएं को लेकर बात कर रहे थे , उसमें एक लोहार भी शामिल था। उसने सभी की बातों को काटते हुए कहा कि भूत नहीं होता और मैं भूत को नहीं मानता हूं। लोग उसे डांटने लगे और उसे भूत होने का यकीन दिलाने लगे। किंतु लोहार डट कर उनका सामना करने लगा और कहने लगा के भूत नहीं होता मैं उस कुएं के पास जाकर सबको साबित करुंगा।
    लोहार रात को उस कुएं के पास जाने के लिए तैयार हुआ , उसने अपने हाथ एक कुल्हाड़ी भी ले ली। वह कुएं की और चल पड़ा , रात बीत गई लेकिन लोहार कभी नहीं आया। सवेरे उसका मृत शरीर कुएं में मिला , इसके बाद से भूत का डर पूरे गांव में लहर की तरह दौड़ गया। गांव के बच्चे अब शाम होते ही डर के मारे अपने माता – पिता के पास पहुंच जाते। एक समय की बात है , एक फौजी अपने घर छुट्टी पर आया हुआ था। वह अपने बेटे को कहने लगा कि गांव के बाहर एक उनका मित्र रहता है उनके वहां जाकर एक टोकरी ले आओ , सुबह हमें खेती के लिए जाना है।
    इस पर फौजी का बेटा अमृत डर से वहां जाने के लिए मना कर दिया। फौजी ने उसके डर का कारण जाना तो समझ में आया कि गांव में भूतों का भय है , जिसके कारण पूरा गांव रात के अंधेरे में बाहर ही नहीं निकलता। इस डर को अपने बेटे के जेहन से दूर करने के लिए फौजी ने ठान लिया , क्योंकि वह फौजी का बेटा था , और फौजी के सामने डर नाम की कोई चीज नहीं होती। फौजी ने एक टोर्च लिया और अपने बेटे के साथ टहलने के लिए बाहर निकल गया , अमृत डरते – डरते अपने पिता के पीछे हाथ पकड़ कर चलता रहा।
    फौजी अपने बेटे को लेकर उसी कुएं के पास पहुंच गया , जहां की कहानियां सभी लोग सुनाया करते थे। फौजी ने चारों तरफ टॉर्च मार कर देखा वहां पर कोई नहीं था , अमृत को उसने बोला देखो यहां कोई है ? लोग यूं ही डरते हैं , और बच्चों को भी डर आते हैं। किंतु दूसरे क्षण कुएं में से किसी के तेजी से चढ़ने – उतरने की आवाज सुनाई दी , इस पर फौजी ने कुएं में टॉर्च मारकर देखा और अमृत को दिखाया देखो कुछ नहीं इसमें ढेर सारी पक्षियां है जो हमारे यहां मौजूद होने के कारण वह सतर्क हो रहे हैं।
    अब धीरे-धीरे अमृत का भय टूटने लगा और उसने अपने पिता का हाथ छोड़ दिया। अमृत निडर होकर वहां घूमने लगा , उस दिन के बाद अमृत निडर हो गया था। वह रात को भी उस कुएं के पास चला जाया करता था। धीरे-धीरे उसके गांव से उस भूत के भय का भी अंत हो गया . लोगों के सामने अब भूत कि केवल कहानियां ही थी।

    Moral of this hindi motivational story

  • Self-confidence and high self-esteem is extremely required for success in life.
  • You will not be able to create your unique identity in front of the crowd of this world.
  • Courage is one of the best weapons to fight your fear.

  • Vishvajeet chauhan

    अपनी पहचान कैसे बनाएं

    एक प्रसिद्ध लेखक पत्रकार और राजनयिक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जो बेहद ही हंसमुख स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी है। उनकी पत्रकारिता देश ही नहीं अपितु विदेश में भी प्रसिद्ध है। उन्होंने वैसे जगह पर भी पत्रकारिता की है जहां अन्य पत्रकारों के लिए संभव नहीं है।उनकी हसमुख प्रवृत्ति और हाजिर जवाब का कोई सानी नहीं है। एक समय की बात है पुष्पेंद्र एक सभा को संबोधित कर रहे थे , सभा में जनसैलाब उमड़ा था , लोग उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से आए हुए थे।

    जब वह अपना भाषण समाप्त कर बाहर निकले , तब उनकी ओर एक भीड़ ऑटोग्राफ के लिए बढ़ी। पुष्पेंद्र उनसे बातें करते हुए ऑटोग्राफ दे रहे थे। तभी एक नौजवान उस भीड़ से पुष्पेंद्र के सामने आया उस नौजवान ने उनसे कहा -” मैं आपका बहुत बड़ा श्रोता और प्रशंसक हूं , मैं साहित्य प्रेमी हूं , जिसके कारण मुझे आपकी लेखनी बेहद रुचिकर लगती है। इस कारण आप मेरे सबसे प्रिय लेखक भी हैं। मैंने आपकी सभी पुस्तकें पढ़ी है और आपके व्यक्तित्व को अपने जीवन में उतारना चाहता हूं। किंतु मैं ऐसा क्या करूं जिससे मैं एक अलग पहचान बना सकूं। आपकी तरह ख्याति पा सकूं।”
    ऐसा कहते हुए उस नौजवान ने अपनी पुस्तिका ऑटोग्राफ के लिए पुष्पेंद्र की ओर बढ़ाई। पुष्पेंद्र ने उस समय कुछ नहीं कहा और उसकी पुस्तिका में कुछ शब्द लिखें और ऑटोग्राफ देकर उस नौजवान को पुस्तिका वापस कर दी।
    इस पुस्तिका में यह लिखा हुआ था –

    ” आप अपना समय स्वयं को पहचान दिलाने के लिए लगाएं , किसी दूसरे के ऑटोग्राफ से आपकी पहचान नहीं बनेगी। जो समय आप दूसरे लोगों को लिए देते हैं वह समय आप स्वयं के लिए दें। “
    नौजवान इस जवाब को पढ़कर बेहद प्रसन्न हुआ और उसने पुष्पेंद्र को धन्यवाद कहा कि –

    “मैं आपका यह वचन जीवन भर याद रखूंगा और अपनी एक अलग पहचान बना कर दिखाऊंगा। “
    पुष्पेंद्र ने उस नौजवान को धन्यवाद दिया और सफलता के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं भी दी।
    Moral of the story-

  • Create your own unique personality and identity instead of following others.
  • The one who follows will always have to remain under the shadow of the topper.
  • The biggest thing in life is respect and uniqueness you have for which people remember you.
  • So stop following. Start creating followers.
  • Vishvajeet chauhan

    "An investment in knowledge pays the best interest." – Benjamin Franklin
    "Change is the end result of all true learning." – Leo Buscaglia
    "The roots of education are bitter, but the fruit is sweet." – Aristotle
    “The learning process continues until the day you die.” – Kirk Douglas
    एक नायक और एक नायिका



    "क्षण भर हवा के झोंके से, बार बार नज़रे मिलते रहें क्षण भर आते झोंकों से, ऐसे चलते रहे हवा के झोंके, कहीं से एक तिनका आया एक क्षण मे दोनो का मिलन हुआ, उनके माध्यम से ll"
    चली जा रही थी वो उस धुन मे, उसका अपना ही मिजाज था दिन यूँही बीत रहे थे ऐसे हवा की लहरों में लु रोज रोज ऐसे सिलसिला चलता रहा तब तक जब तक कि कोई एक- एक लिए सोचने न लगा l किसी न किसी तरीके से नायक और नायिका थोड़े क्षण भर के लिए मुलाकात हो जाया करती थी और नायक भी अपने हौसलों के साथ बढ़ रहा था जीवन में l कभी नायिका का उसने अपने अन्दर जिक्र न किया था साहेब चले जा रहे थे मंजिल की तरफ l बड़ी बड़ी परिस्थितियों को स्वीकारा गया था पर अब उससे भी अधिक बड़ी परिस्थितियाँ आने वाली थी नायक के जिंदगी में l वो बचने के लिए बहुत कोशिश कर्ता था पर ऊपर वाला बैठा देख रहा था मौका मिला था ग़ज़ब का उसे भी की एक लकीर उसने भी खींच दिया l अब ऊपर वाले के इस लकीर की कहानी के आगे का पड़ाव सुरु होने वाला था नायक और नायिका एक जगह ही सीख रहे थे दोनों का विषय एक ही था कुछ समारोह हो रहे थे उसी बीच मे एक दूसरे से हाल हो लिया कर्ता था दोनों का l कुछ समय बीता मित्रता हो गई और फिर आनंद आने लगा नायक को l

    "हवा मे कुछ हवा ने हवा के हवा को मिलाने लगे, बात बढ़ने लगी झोंकों का आना लाजमी था l उन कुछ हवाओ ने मिला दिया उनके एक जुबान को, बारिश हो गई और नायक के जीवन में वो आगई l"
    जब दोनों जाते थे सीखने तो कभी कभी नए नए अंदाज में मिला करते थे कभी हाथ मिलाया करते, तो कभी एक दूसरे का अभिवादन किया करते थे तो कभी नज़रे ही सिर्फ मिला लिया करते थे दोनों के जीवन में हवा का रुख बदल रहा था एक दूसरे के प्रति भाव विचार मन में निर्मित हो रहे थे कहते कभी न थे छुपाना अर्थात्‌ जताना स्वभाव न था कभी इसीलिए आगे बढ़ते रहे ऐसे ही राह में लु कभी कभी व्यंग करते थे एक दूसरे पर तो कोई एक उसे सादगी के साथ सुनता रहता/ सुनती रहती थी l जब शुरु हुआ नए नए किरदार का आना दोनों के जीवन में वो सर्वप्रथम क्षण था उसके बाद सिलसिला यह शुरूवात हुई l

    "किरदार ने अपने किरदार मे कमी न छोड़ी किरदार निभाने मे, प्रेम दिया जल चुका था दोनों के हृदय में "

    नायक नया था नायिका का अपना अलग स्वभाव था वास्तव में नायक को हो रहा था प्रेम, कुछ नए नए थे उस दौरान - प्रेम का वास्तविक परिचय नहीं हुआ था l जब होने लगा प्रेम तो अलग ही भाव जन्म लेने लगे स्वाभाविक था

    इस प्रेम के रास्ते पर आना उसका l अपने सहपाठियों के साथ दोनों रहते थे जब भी बाहर जाते थे दोनों मे एक दूसरे के प्रति भाव विचार, महत्व बढ़ने लगा l कभी कभी बाते ज्यादा हो जाया करती थी लंबे समय पर, फिर बढ़ने लगी बाते और नायक करीब आता गया, नायिका को पता न था नायक की हलचल और नायक जरूरी न समझा कहना l ऊपर वाला सोच मे था आगे क्या होगा क्युकी उसने भी अपने जीवनी में प्रेम किया था तो उत्सुक था जानने के लिए l है तो वो ब्रहमांड का उत्तम ब्यक्ति कहा जाय परमात्मा जिसके अंदर हम है और हमारे अंदर वो समाया हुआ है l उनके अंदर स्वभाव जैसे आए वो वक़्त बड़ा आगाज था क्षण भर सोचा ऊपर वाले ने, कह दिया नायक ने नायिका से प्रेम की बात कुछ शब्दों में l पर उचित न हुआ उस क्षण का क्युकी दूरिया थी ये भी उसी की चाल थी कुछ समय बीता पर नायक मे यह खासियत थी - कुछ नहीं भूलता था जीवन के क्षणों को l वक़्त गुजरता गया, किरदारों ने कुछ नायिका के बारे में अशुभ कह दिया फिर क्या - किरदारों से दूरिया भी बनने लगी पर विरोध न किया उसने क्युकी

    "जो खामोशी तकलीफ देती है वो बोलता हुआ इंसान नहीं दे सकता है "
    ऐसे किरदारों का भी आपस में मिलना मुश्किल होने लगा जब गुरूर, घमंड और दुर्व्यवहार आने लगे स्वभाव में l हर कोई अपनी अंदर झांकने के बजाय दूसरों के भीतर झाँकना पसंद करते थे कुछ ऊपर वाला भी कम न था अलग अलग तो कभी न किया पर साथ भी न रखा l होता था जब मेहरबान तो मिला देता था सबको इस तरह सबके नेत्रों प्रेम उमड़ आता था हाल चाल भी लहजे मे हो लिया करता था कभी मस्ती सायद ही होता था पर नायक की नायिका के प्रति भाव उसी प्रकार रहा जैसे पहले था नायिका का भी कोई प्रतिद्वंदी इस मोह में आया था प्रेम करने की वज़ह के साथ पर समय चला गया उसका और एक और किरदार नया आया वो देख नायिका को प्रेम से पहले मोह में उसके गान करने लगा नायक अभी तक अनजान था नायिका भी उस किरदार से अति प्रभावित हुई और अपनी नसीब की एक लकीर उसके साथ बिताने के बारे में सोचने लगी वह किरदार समय के साथ लुभावना खुद को दिखाते गया और नायिका प्रेम के चक्कर में मोह करने लगी पर उसे लगा वो प्रेम कर रही है ऐसे उनकी बातें देर रात तक होती चली गई कभी कहीं तो कभी कहीं मिलते थे कुछ किरदार शामिल थे जो पहले के उन्हें समय देना बंद कर दिया यही कारण बना उससे भी कई किरदार दूरिया बनाने लगे प्रेम की वर्षा होती ऐसा सबने सोचा था पर परिस्थितियाँ और समय बदलते रहे सब अपने अपने तरीके से हाल एक दूसरे का लेने लगे l

    अब वो बात मे बात न थी जो पहले हुआ करती थी जैसे फूल से खुशबू ही चली गई हो अर्थात्‌ उसके कई साथी जो उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे और साहस दे रहे थे सबने रुख मोड़ना शुरु ही कर दिया था ग़लतियाँ बहुत होती थी पर एक दूसरे से मोह और प्रेम भी था नजर नहीं आया कभी एक दूसरे के प्रति और ऐसे होती रहती थी उनकी अपने अंदर अज्ञान का प्रसार जो हर बार तेजी से फैल था था जब भी कोई चपेट में आता दूर हो जाता था नायक समझ गया था पहले ही की वह जिसे पहले देखा वो कोई और है और जो उसमे नजर आती है वो तो कोई और बैठा है भेष बदले उसी का l फिर नायक अपने उन पहले यादो को ऊपर वाले से जोड़ दिया और कभी संग आने का प्रयास भी करना छोड़ दिया अब वो जब भी मिलती नायक समझ जाता कौन है ये जो दिख रहा है रंग मे और यादो को सजा के रखा पर पीछे देखना जरूरी न समझा नायक उस प्रेम को समझ गया था जो परिशुद्घ था, फिर क्या उसने झूठे प्रेम के प्रति कोई भाव नहीं रखता था और एक तरफ उसने जो अज्ञानता के कारण ग्यान अर्जित किया उससे ही वह प्रेम करने लगा और नायिका उस किरदार के साथ रास करने लगी और उसी के साथ समय व्यतीत करने लगी l

    Education is not the learning of fact, but the training of mind to think.

    Education is the ability to listen to almost anything without losing your temper or self confidence.

    दोस्ती वो शक्ति है जो हर वक़्त एक नए किरदार मे हमारी प्रतीक्षा करती रहती है कभी सुख मे तो कभी दुख मे, साथ रहती है बस किरदार बदलते रहते हैं पर दोस्ती वहीं रहती है l

    छोड़ दिया है किस्मत की लकीरों पर यकीन करना.., जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत चीज़ है क्या.. ll

    अगर जिंदगी को समझना है तो पीछे देखो और, यदि जिंदगी जीना है तो आगे देखो l

    एक अखबार हूँ औकात क्या है मेरी, मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ l

    Education is the process in which we discover or add new qualities to our lives, learning must be experienced.

    The first step in knowledge is to listen, then to be quite and attentive, then to preserve it, then to put it into practice and then to spread it.

    इज्जत और तारीफ मांगी नहीं जाती है, कमाई जाती है l सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते हैं ब्लकि सपने वो है जो हमारी नींद उड़ा दे l

    रहूँ उदास तो कोई खबर नहीं पूछता, अगर मुस्करा दु तो सब वज़ह पूछते हैं l प्यास लगी थी ग़ज़ब की, पर पानी मे जहर था, पीते तो मर जाते और न पीते तो मर जाते ll

    नफ़रत करने से बढ़ जाती है अहमियत किसी की, क्यों ना माफ़ करके उसे शर्मिंदा कर दिया जाए l वाकिफ़ है हम इस दुनिया के रिवाजों से, जब दिल भर जाता है तो हर कोई भुला देता है ll

    बरसात से मुलाकात यूँही नहीं होती, धरती को धूप में जलना पड़ता है, शोहरत के शिखर को चढ़ने के लिए घुटनों के बल भी चलना पड़ता है l

    “Love has been mistaken for possession and attachment. Become loving, so you can love all."

    “Love is necessary for a healthy life. We think to live a healthy life, just like food and water. I practice daily by loving everyone around me.”

    "Knowledge is power. Information is liberating. Education is the premise of progress, in every society, in every family." – Kofi Annan

    “Live for what’s worth dying for, and leverage technology to create the world you wish to see.” “Experiments are necessary for the experiences that create growth and new opportunities.”

    “ Tapping into genius is simple in theory yet hard in practice. It comes from mastering the one activity you love most .”

    “My spirituality and faith has taught me to embrace the things I can’t change, and turn them into opportunities. Meditation and prayer have given me the wisdom and awareness I’ll need.”

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    “The difference between school and life? In school, you’re taught a lesson and then given a test. In life, you’re given a test that teaches you a lesson.” – Tom Bodett

    Vishvajeet

    “Education is no longer thought of as a preparation for adult life, but as a continuing process of growth and development from birth until death.” –Stephen Mitchell

    Vishvajeet

    “Education would be much more effective if its purpose was to ensure that by the time they leave school every boy and girl should know how much they do not know, and be imbued with a lifelong desire to know it.” – William Haley

    Vishvajeet
    Executive Members Of VIS

    " Dasshare Me Jalta Her Ravan Puchhta Hai..,Bete Sach Bata Yaha Koi Ram Khada hai Kya? Adharm Ke Nash Ke Liye Mujhe Jla rahe Ho..,Phir Tumhare Andar Jo Ravan Hai Use Kyu bacha Rahe Ho?"
    MahaDev

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